तत्त्व
तत्त्व है जिससे यथार्थ बना हुआ है। सांख्य के अनुसार २५ तत्त्व हैं यथार्थता के अणु।
यथार्थता के विभिन्न रूप। सांख्य के अनुसार २५ तत्व हैं
मूलत: दो तत्व मानने पर भी सांख्य परिणामिनी प्रकृति के परिणामस्वरूप तेईस अवांतर तत्व भी मानता है। तत्व का अर्थ है 'सत्य ज्ञान' । इसके अनुसार प्रकृति से महत् या बुद्धि, उससे अहंकार, तामस, अहंकार से पंच-तन्मात्र (शब्द, स्पर्श, रूप, रस तथा गंध) एवं सात्विक अहंकार से ग्यारह इंद्रिय (पंच ज्ञानेंद्रिय, पंच कर्मेंद्रिय तथा उभयात्मक मन) और अंत में पंच तन्मात्रों से क्रमश: आकाश, वायु, तेजस्, जल तथा पृथ्वी नामक पंच महाभूत, इस प्रकार तेईस तत्व क्रमश: उत्पन्न होते हैं। इस प्रकार मुख्यामुख्य भेद से सांख्य दर्शन 25 तत्व मानता है। जैसा पहले संकेत कर चुके हैं, प्राचीनतम सांख्य ईश्वर को 26वाँ तत्व मानता रहा होगा। इसके साक्ष्य महाभारत, भागवत इत्यादि प्राचीन साहित्य में प्राप्त होते हैं। यदि यह अनुमान यथार्थ हो तो सांख्य को मूलत: ईश्वरवादी दर्शन मानना होगा। परंतु परवर्ती सांख्य ईश्वर को कोई स्थान नहीं देता। इसी से परवर्ती साहित्य में वह निरीश्वरवादी दर्शन के रूप में ही उल्लिखित मिलता है।
सांख्य दर्शन के २५ तत्व -
आत्मा (पुरुष)
(अंत:करण 4 ) मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार
(ज्ञानेन्द्रियाँ 5) नासिका, जिह्वा, नेत्र, त्वचा, कर्ण
(कर्मेन्द्रियाँ 5) पाद, हस्त, उपस्थ, पायु, वाक्
(तन्मात्रायें 5) गन्ध, रस, रूप, स्पर्श, शब्द
( महाभूत 5) पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश
जो भी इसमें अच्छा लगे वो मेरे गुरू का प्रसाद है,
और जो भी बुरा लगे वो मेरी न्यूनता है......MMK
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