tag:blogger.com,1999:blog-6101091264294453966.post1398515275125096185..comments2024-01-07T02:16:54.825-08:00Comments on JAI GURU GEETA GOPAL: Aisha-Kyun (ऐसा क्यूँ) Part (1)Jai Guru Geeta Gopalhttp://www.blogger.com/profile/01621836960274288942noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6101091264294453966.post-78049191950838044912013-05-14T03:29:42.522-07:002013-05-14T03:29:42.522-07:00सनातन धर्म में पूजा - पद्धति ऋषि - मुनियों द्वारा ...सनातन धर्म में पूजा - पद्धति ऋषि - मुनियों द्वारा प्रदान की गयी है. इसलिए हमारे ऋषि मुनियों ने प्रकृति से लेकर पशु और विभिन्न वस्तुओं को देव पूजन सामग्री में शामिल किया है. जिनका न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण लाभ है. प्रकृति द्वारा प्रदत्त सुगंधित पुष्प और औषधियों से भगवान का अभिषेक - श्रृंगार किया जाता है. फूलों से एक ओर जहां प्रभु का श्रृंगार होता है. वहीं ऐरोमा थैरपी में फूलों की खुशबू से अनेक तरह के लाभ बताए गये हैं. इसलिए साधक को भी फूलों से प्रभु का श्रृंगार करने से साधना के साथ स्वास्थ्य लाभ होता है. इसी तरह औषधियों से भी देव आराधना की जाती है. पंचगव्य यानि गाय के दूध से बने पदार्थों से देव अभिषेक होता है. जिसे पंचामृत अभिषेक कहा जाता है. गाय के दूध से बने पदार्थों में अनेक गुण होते हैं. यही वजह है देव पूजा की षोडशोपचार विधि पूजन में 16 तरह से देव पूजन किया जाता है. उनमें फूल और फूलों की माला से देव श्रृंगार का विधान ऋषि - मुनियों द्वारा शामिल किया गया है....<br /><br />जो भी इसमें अच्छा लगे वो मेरे गुरू का प्रसाद है,<br />और जो भी बुरा लगे वो मेरी न्यूनता है......MMK<br />Jai Guru Geeta Gopalhttps://www.blogger.com/profile/01621836960274288942noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6101091264294453966.post-69855139671956383712012-08-18T04:49:40.308-07:002012-08-18T04:49:40.308-07:00कृपया हमें बताये " हम ईश्वर के गले मे हार क्...कृपया हमें बताये " हम ईश्वर के गले मे हार क्यूँ डालते है..."<br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16117007320448576466noreply@blogger.com